निजी नलकूप खनन पर प्रतिबंध

 बैतूल जिला जल अभावग्रस्त घोषित
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निजी नलकूप खनन पर प्रतिबंध
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कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री शशांक मिश्र द्वारा मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 3 एवं 4 तथा संशोधित अधिनियम 2002 की धारा 4 (ख) 1 में प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए जिले के समस्त नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों को पेयजल की उपलब्धता में आ रही कमी के कारण 30 जून 2018 तक जल अभावग्रस्त घोषित करते हुए मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम के प्रावधानों को आदेश जारी होने की तिथि से 30 जून 2018 तक लागू किया गया है।
प्रावधानों के अनुसार जिले के समस्त नदी, नालों, तालाबों, बांधों, जलाशयों, एनीकटों, स्टाप डेम, सार्वजनिक कुओं, झिरियों, तथा बोरी-बंधानों एवं अन्य जल स्त्रोतों का संपूर्ण पानी केवल पेयजल एवं निस्तार प्रयोजनों के लिए तत्काल प्रभाव से सुरक्षित रखा गया है। कोई भी व्यक्ति बिना अनुज्ञा के जल अभावग्रस्त क्षेत्र में किसी भी शासकीय भूमि पर स्थित जलस्त्रोतों से घरेलू प्रयोजन को छोडक़र अन्य किसी भी प्रयोजन के लिए किन्हीं भी साधनों द्वारा जल का उपयोग नहीं करेगा। जिले की सीमा के अंतर्गत आने वाले समस्त नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में किसी भी प्रयोजन हेतु प्राइवेट (निजी) नलकूप खनन कार्य अधिनियम की धारा-6(1) के अंतर्गत पूर्णत: प्रतिबंधित किया गया है। इस अधिनियम के अंतर्गत वर्णित जलस्त्रोतों से जल का उपयोग भवन निर्माण सहित समस्त निर्माण कार्यों में प्रतिबंधित किया गया है। आवश्यकतानुसार निजी पेयजल स्त्रोतों के अधिग्रहण के अधिकार हेतु समस्त संबंधित अनुविभागीय राजस्व अधिकारी प्राधिकृत किए गए हैं एवं संशोधित अधिनियम की धारा 4 (क) 1, 2, 3 के प्रावधानों के अंतर्गत कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया है। समस्त अनुविभागीय राजस्व अधिकारियों को उनके क्षेत्रांतर्गत इस निर्मित अपरिहार्य प्रकरणों के लिए व अन्य प्रयोजनों हेतु उचित जांच के पश्चात् अनुज्ञा देने हेतु प्राधिकृत किया गया है। अनुविभागीय अधिकारी अनुज्ञा देने के पूर्व आवश्यक जांच व कार्रवाई संपन्न कराएंगे और अनुज्ञा दिए जाने के पूर्व संबंधित क्षेत्र के सहायक यंत्री, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग तथा अनुविभागीय अधिकारी जल संसाधन विभाग से अभिमत एवं अनुशंसा प्राप्त करेंगे।
उपरोक्त आदेश का उल्लंघन करने वालों के विरूद्ध मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 9 एवं भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188 के तहत दण्डनीय कार्रवाई की जाएगी, जो दो हजार रूपए का जुर्माना या दो वर्ष का कारावास अथवा दोनों हो सकते हैं। उपरोक्त प्रावधानों को प्रभावी कारगर रूप से कार्यान्वित करने का दायित्व संबंधित अनुविभागीय राजस्व अधिकारी, कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग, कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विभाग एवं उप संचालक कृषि बैतूल का होगा।

Source : agency

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Name: धीरज मिश्रा (संपादक)

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